Saturday 19 May 2012

पहली औलाद मारती है पहली बार में बाजी

इसे चाहे माता-पिता का प्यार दुलार कहें या फिर सुखद संयोग, लेकिन यह सच है कि किसी भी परिवार का सबसे बड़ा बच्चा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बाजी मारता है। दूसरे व तीसरे नंबर पर जन्म लेने वाले बच्चे इनकी तुलना में फिसड्डी होते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि पहले बच्चे पर माता पिता का अत्यधिक ध्यान होता है लेकिन परिवार का आकार बढ़ने के साथ ही उनका ध्यान भी बंट जाता है। इन बच्चों पर भी यदि उसी प्रकार ध्यान दिया जाए तो वे भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
परीक्षा पास करने की उम्र के मामले में 394 में से 182 बच्चो (46.2 फीसदी) ने 20 साल से कम उम्र में प्रवेश पा लिया। इसमें लड़कियों का प्रतिशत अधिक मिला। वहीं बीस साल से अधिक उम्र में परीक्षा पास करने वाले 212 बच्चे थें जिनमें छात्र 56 तथा छात्राएं 49 फीसदी थीं।
अन्य बच्चे भी पा सकते हैं सफलता
डा. विनय अग्रवाल कहते हैं कि मां-बाप अपने पहले बच्चे के पालन पोषण पर अत्यधिक ध्यान देते हैं। उसी का यह परिणाम होता है। अन्य बच्चों पर भी यदि उसी प्रकार ध्यान दिया जाए तो वे भी अच्छी सफलता प्राप्त करके मां बाप का नाम रोशन कर सकते हैं।

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